Dr Ambedkar ka kala sach-1 || अम्बेडकर संक्षिप्त जीवन परिचय

 नमस्कार दोस्तो, मैं आपका दोस्त आपके लिए  Dr Ambedkar ka kala sach नाम से पूरी series लिखने जा रहा हु,  जिसमे बहुत से काले सच उजागर होगें। लेख के माध्यम से भारत में नफरत फैलाने वाली भ्रांतियां को उजागर करके, उन नफरत के सौदागरों का पर्दाफाश भी करेंगे जो समरसता  की राह में रोड़ा है।

इस सीरीज में Dr Ambedkar के जीवन परिचय , पारिवारिक परिचय व उनके संपूर्ण जीवन में हुई घटनाओं का विश्लेषण करेंगे। Dr Ambedkar का भारत की आजादी से पहले , भारत की स्वतंत्रता में और  भारत के विकास में योगदान (है भी या नहीं)  पर विस्तृत चर्चा करेंगे और उनका विश्लेषण करेंगे।

सबसे रोचक संविधान सभा के गठन से लेकर संविधान लागू होने तक का वाक्या रहने वाला है जिसमे दलितों में फैले भ्रामक तथ्यो को समाज में पहुंचाएंगे। 

Dr Bhimrao Ambedkar जीवन परिचय।

Babasaheb Bhimrao Ambedkar के नाम से मशहूर बालक का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के इंदौर जिले  में स्तिथ महू नामक नगर में  हुआ था। ये कोई आम जगह नहीं थी बल्कि अंग्रेजी हुकूमत के समय की छावनी थी। हालांकि डॉ अंबेडकर का पैतृक गांव अंबावाड़े है जो , महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले में पड़ता है।

बाबासाहेब का बचपन का फोटो


परिवार संक्षिप्य परिचय।

मालोजी सकपाल: ये अंबेडकर के दादा जी थे जो अंग्रेजी हुकूमत में बंबई सेना की इकाई में  हवलदार थे , जिन्होंने अंग्रेजी सेना की तरफ से लड़ाई लडी थी और इनाम में अंग्रेजो ने अंबेडकर के दादा को कुछ भूमि आवंटित किया था। रामजी सकपाल और और मीरा बाई 2 संतान थी मलोजी सकपाल की। रामजी सकपाल जो भीमराव सकपाल ऊर्फ अंबेडकर के पिता जी थे इनका जन्म 14 नवंबर 1843 को हुआ था। दादा मालोजी सकपाल की तरह पिता रामजी सकपाल भी सेना में भर्ती हो गए और अंग्रेजी भाषा में अच्छी कमांड के चलते उनको सैनिक स्कूल में अध्यापक का पद मिला। बाद में वे प्रधानाचार्य के पद पर आसीन हुवे और सेना ने उन्हें अच्छी सैलरी व सेना में सूबेदार मेजर के पद से नवाज दिया था।

मालोजी सकपाल


1865 में रामजी का विवाह 13 वर्ष की भीमा मुखाड़कर से हुआ जो अंबेडकर की माता जी थी। 1865 से 1891 के बीच मात्र 26 वर्ष में 14 बच्चो को जन्म दे चुकी थी, डॉ अंबेडकर उनकी चौदहवीं संतान थे। 14 में से कुल 5 संतान: बालाराव, आनंदराव, भीमराव, बेटी मंजुला और तुलसा ही जीवित बचे थे। कम उम्र में अत्यधिक बच्चे पैदा करने के कारण और कुछ 14 में से 9 बच्चे के जाने के दुख ने मात्र 45 वर्ष की आयु में ही दुनिया से जाने को मजबूर कर दिया। बाद में रामजी सकपाल ने जीजाबाई नामक एक विधवा से शादी किया जिसको हमारे महिला उद्धारक बाबासाहेब मां तक कहना पसंद नहीं करते थे।

1893 में रामजी सकपाल सेना से सेवानिवृति लेकर 50 रुपया मासिक पेंशन पर आ गए थे। बाद में सतारा में उनको लोक निर्माण विभाग में स्टोरकीपर की नोकरी मिली और भाई आनंदराव के साथ भीमराव भी सतारा कैंप के स्कूल में भर्ती हुवे। 1904 में रामजी लोक निर्माण विभाग से भी सेवानिवृत हो चुके थे।

यह भी पढ़े: Dr Ambedkar ka kala sach-2: सकपाल से कैसे बने अंबेडकर

काले सच।

  • सूबेदार मेजर रामजी सकपाल के सुपुत्र अंबेडकर को आर्थिक तंगी में बचपन बिताना पड़ा।
  • अंबेडकर ने शिक्षा का अधिकार दिया जबकि उनके पिता उनके जन्म से भी पहले सैनिक स्कूल में प्रधानाचार्य पद पर थे।
  • महिला सम्मान और महिला कल्याण की बात करने वाले भीमराव अपनी सौतेली मां को कभी मां तक स्वीकार न सके।

 


एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. ऐसा लेख लिखकर आप सस्ती प्रसिद्ध पाना चाहते हैं जो कि सूरज को दिया दिखाने बराबर है। Symbol of नॉलेज जिनके ज्ञान का लोहा पूरी दुनिया मानती है आप जैसे लोग क्या समझेंगे। आपके कटाक्ष उनके चरणों की धूल भी नही, और लगता है आपका लेख आजकल चल नही रहा इसलिए प्रसिद्ध होने का सस्ता तरीका अपना रहे हैं।

    जवाब देंहटाएं