ब्रह्ममुहूर्त।
ब्रह्म, अर्थात परमेश्वर! मुहूर्त ,अर्थात अनुकूल समय! इसके अर्थ से ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इसका महत्व क्या है। सूर्योदय से पूर्व डेढ़ घंटे का समय ब्रह्ममुहूर्त माना जाता है या ज्योतिषी गणना के अनुसार 4:24 प्रात: से 5:12 प्रात काल के समय को हम ब्रह्ममुहूर्त कहते है।
ब्रह्ममुहूर्त की विशेषता।
एक व्यक्ति ब्रह्ममुहूर्त में क्यो उठे? क्योकि Ayurveda के अनुसार यही वह समय है जब oxizen अपने सबसे शुद्ध रूप में होती है ,अमृत समान होती है। यही प्राणवायु आपके शरीर मे नई ऊर्जा का संचार करती है यह आपके रक्त (blood) में मिलकर आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को naturally मजबूत करती है। कम शब्दो मे मैं इस लेख को पढ़ने वाले हर पाठक से कहना चाहूंगा कि पूरे विश्व मे इससे उम्दा immunity booster अभी तक कुछ भी नही। शायद यही कारण रहा है कि हमारे पूर्वज हमारी अपेक्षा बहुत कम बीमार पड़ते थे। क्या आपने कभी किसी संत या योगी को करीब से देखा है? देखोगे तो पाओगे की उनका ललाट!उनके माथे का तेज! ये सब ब्रह्ममुहूर्त का प्रतिफल है। वर्तमान कि Covid-19 की महामारी की गिरफ्त में अधिकांश लोग इसलिए आ रहे है क्योंकि उनकी immunity कमजोर पड़ गई है जो बचे है वो immunity से भरपूर है । सोचो भारत का प्रत्येक व्यक्ति अगर अपनी इस प्राचीन परंपरा और आयुर्वेद से जुड़ा होता तो क्या होता? बिल्कुल यहां कोरोना या तो निष्क्रिय होता या एक मामूली खांसी जुकाम, इससे ज्यादा कुछ नही।
वैदिक परम्परा।
वैदिक काल से ही हमारे ऋषि-मुनि, संत-महात्मा, योगी और हमारे पूर्वज ब्रह्ममुहूर्त में उठा करते थे। सम्भवतः उनकी शक्ति, ऊर्जा, बुध्दि , बल व सौन्दर्य का रहस्य ब्रह्ममुहूर्त में ही उठना रहा है सदियों से। उनकी Long Life और निरोगी काया का गुणसूत्र यही था। वर्तमान समय मे हम Lifestyle को बिगाड़ कर अपनी इस अनमोल परंपरा से विमुख हुवे तो बल, बुद्धि , सौंदर्य और प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) सभी गुणों की हानि हुई, परिणामस्वरूप शारीरिक और मानसिक समस्याओं का अम्बार लगा हुआ है।
साधना के लिए उपयुक्त समय।
यह वह समय है जब आपका मन सबसे शांत होता है , जब अनर्गल विचारों का प्रवाह सबसे कम होता है। ध्यान लगाने वाले योगी के लिए ये सबसे उपयुक्त है जब उसका मन एकाग्रता से ध्यान में लग सकता है।इस समय हमारी ज्ञानेन्द्रियों (senses) जाग्रत अवस्था मे होती है , विधार्थी के लिए अपने subject के अध्ययन और उसको Long time तक याद रखने के लिए इससे बेहतर समय कोई और नही। ब्रह्ममुहूर्त में उठने वाले व्यक्ति निश्चित ही successful होते है उप
धन, बल और सौंदर्य प्राप्ति।
ब्रह्ममुहुर्त में उठने से मनुष्य के शारीरिक स्वास्थ्य में वृद्धि होती है , शरीर का तंत्रिका तंत्र अपने उत्तम स्तर पर कार्य करता है। वीर्य की वृद्धि होती है और चेहरे पर तेज आ जाता है जिससे मनुष्य सांवले रंग का होने के बावजूद भी सुंदर नजर आता है। स्वस्थ मन और स्वस्थ शरीर से किए गए सभी कार्यों में मनुष्य को सफलता मिलती है और धन में वृद्धि होती है।
इन बातों का रखे ध्यान।
इस लेख को पढ़ने वाले प्रत्येक पाठक से कहना चाहूंगा, निवेदन भी करना चाहूंगा कि ब्रह्ममुहूर्त का समय परमेश्वर का समय है पश्चात्य सभ्यता और modernization ने हमे पतन की और धकेल दिया है। इस समय संभोग न करें, मन में नकारात्मक विचारो को स्थान न दे, और उठ गए है तो दोबारा न सोए ये असफ़लता और दुःखो की ओर ले जाएगा। आयुर्वेदिक जीवनशैली को अपनाए और निरोगी काया पाए
FAQS
प्रश्न: ब्रह्ममुहुर्त का समय कितने बजे से शुरू होता है?
उत्तर: ब्रह्ममुहुर्त का समय सुबह 4:24 प्रातकाल से 5:12 प्रात काल तक होता है
प्रश्न: ब्रह्ममुहुर्त के क्या लाभ है?
उत्तर: यदि आप ब्रह्ममुहुर्त में उठते है तो इससे आपको स्वास्थ्य, धन-लक्ष्मी, सौंदर्य और वैभव को प्राप्ति होती है।
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