बवासीर में अतिबला का प्रयोग कैसे करें ?| benefits of Atibala in piles

 अतिबला ( खिरैंटी) का पौधा

आसानी से सड़क के किनारे, खेत में या खुले मैदानों में मिलने वाला अतिबला का पौधा भारतीय जड़ी बूटी का एक प्रमुख प्रकार है। इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है। इसका पौधा 1-2 मीटर ऊँचा होता है। इसकी पत्तियाँ आगे से नुकीली  होती हैं, और इसके फूल छोटे, पीले रंग के होते हैं।

अतिबला का पौधा प्रमुख रूप से अपने जड़ों और बीज  के लिए प्रसिद्ध है, इसका फल कंघीनूमा दिखाई पड़ता है इस वजह से इसको कंघी का पौधा भी कहते है। अतिबला की मिलती जुलती दो अन्य प्रजातियां भी है:

1.घंटिका(Abutilon pannosum)

2. चर्मिल कंकतिका (Abutilon indicum)


अतिबला के बीज खाने के फायदे ( Benefits of Atibala)

बवासीर के अलावा बहुत सारी बीमारियों में इसका सेवन किया जाता है आइए जानते है की ये बवासीर और अन्य बीमारियों में किस प्रकार सहायक है और इसका सेवन कैसे किया जाए।

बवासीर में अतिबला का प्रयोग कैसे करें ?


1. अतिबला का बवासीर में प्रयोग (Beneficial in Piles) 

बवासीर से  आज के समय में  अधिकांश लोग पीड़ित है। मल द्वार के निचले हिस्से में सूजन के कारण बवासीर बनने लगती है। अतिबला में मोजूद लैक्सेटिव गुण आपके मल को मल द्वार तक बिना दर्द के निकलने में मददगार होता है। यह आपके मलाशय की सूजन को कम करता है। बवासीर में अतिबला का चूर्ण सेवन करने से आपको राहत मिलती है। साथ ही  इसकी पत्तियों से बने काढ़े का सेवन भी आपको दोगुना फायदा पहुंचाता  हैं। बवासीर से पीड़ित लोगो को इसका नियमित सेवन करना चाहिए। 

बवासीर में अतिबला का प्रयोग कैसे करें ?: 

  • अतिबला के एक चम्मच बीजों को मोटा पीसकर        इसको रात को एक कप पानी में भिगो ले। सुबह इस पानी का सेवन करे।
  • अतिबला के 1-2 ग्राम जड़ के चूर्ण में एक चम्मच शहद मिलाकर या अतिबला की जड़ के चूर्ण आधा कप  काढ़े का सेवन बवासीर की समस्या में लाभ देगा।
  • अतिबला के पत्तो का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 20ml की मात्रा का सेवन करे।

2.आंखो के लिए अतिबला( Atibala for eyes)

आंखो के अनेक रोगों में अतिबला बहुत ही गुणकारी औषधि है आप इसके 8-10 पत्तों का काढ़ा बनाकर ठंडा करने के उपरांत आंखों को धोएं। इससे आपकी आंखों में काफी लाभ पहुंचेगा।

3. पथरी के प्रभाव को कम करता है (Atibala for  Stone)

अतिबला के पत्तों के काढे व इसकी जड़ के चूर्ण में खास प्रकार के गुणकारी तत्व होते हैं, जो शरीर में पथरी बनने की समस्या कम करते  है। इसके सेवन से  पथरी पेशाब में घुलने लग जाती है और धीरे-धीरे आपके शरीर से पेशाब द्वारा बाहर आने लगती है।

  • जड़ का चूर्ण को आप एक चम्मच शहद के साथ ले।
  • और पत्तो का 20 से 30 ml काढ़ा बनाकर पिए।


4.पीलिया में  लाभ ( Atibala to Cure Jaundice )

अतिबला पीलिया में भी जबरदस्त फायदा पहुंचाता है आप इसके 1-2 gm अतिबला के जड़ के चूर्ण (Atibala  powder)  को एक चम्मच शहद मिलाकर खाए या  इसकी जड़ के 20-30 मिली काढ़े का सेवन करें। इससे आपकी पीलिया की समस्या खत्म हो जाएगी ।

5.शारीरिक कमजोरी को दूर करें (Atibala improves Weakness )

अतिबला के 5 से 8 ग्राम बीज सुबह-शाम मिश्री वाले गर्म दूध के साथ खाए इससे  कमज़ोरी में आपको पूरा लाभ मिलेगा।

अतिबला की जड़ की छाल को पीसकर दूध में डालकर  उबालें और इसमें  घी मिलाकर पीएं  इससे शरीर में शक्ति बढ़ेगी।

यह भी पढ़े: Methi dana से बनाए face pack

Disclaimer 

जड़ी बूटियों के किसी-किसी व्यक्ति पर इसके हानिकारक प्रभाव हो सकते है ऐसे में अपने आयुर्वेदाचार्य के परामर्श से इसका सेवन करें।

FAQ

प्रश्न: अतिबला क्या होता है?

उत्तर: अतिबला लगभग पूरे भारत में पाया जाता है। यह एक पीले फूल वाला एक  झाड़ीदार पौधा होता है, इसके पत्तों का स्वाद हल्का सा तीखा व कसीला होता है और इस पर कंघी नूमा फल आता है जिसकी वजह से इसको कंघी के नाम से भी जाना जाता है। अतिबला में इसकी जड़ का चूर्ण का इस्तेमाल किया जाता जो बवासीर में भी लाभकारी होता है। 

प्रश्न: बवासीर में अतिबला का प्रयोग कैसे करें?

उत्तर:  अतिबला की जड़ के 1-2 gm चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने या अतिबला की जड़ के काढ़े का सेवन करने से बवासीर में अत्यंत लाभ होता है। आप अतिबला के पत्तों का काढ़ा बनाकर 20-30 ml मात्रा में सेवन करे इससे भी बवासीर में लाभ होता है।

प्रश्न: अतिबला खाने से क्या फायदा होता है?

उत्तर: अतिबला से बहुत लाभकारी औषधि  है। यह मनुष्य की आयु, चेहरे की चमक, शारीरिक बल और यौनशक्ति को बढ़ाता है। अतिबला  का अर्क बार बार पेशाब लगने वाली समस्या को भी खत्म करता है। इसकी छाल से खून का बहाव रोका जा सकता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ